How हल्दी के चमत्कारी फायदे can Save You Time, Stress, and Money.

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हालांकि सरकार ने इनके प्रयोग पर बैन लगा रखा है बावजूद उसके लोग इसके धड़ल्ले से प्रयोग करते हैं जोकि आपकी सेहत के लिए हानिकारक है. इसके सेवन से एलर्जी और कई अन्य तरह की परेशानियां भी हो सकती है.

अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.

हल्दी लिवर को स्वस्थ रखती है और पाचन सिस्टम मजबूत करती है

आयुर्वेदिक चिकित्सा में हल्दी का उपयोग कई वर्षों से किया जा रहा है। आयुर्वेद में इसे हरिद्रा कहते है। हल्दी भारतीय उपमहाद्वीप और दक्षिण पूर्व एशिया का पौधा है। यह एक बारहमासी पौधा है इसके पौधे में फूल आते है।

कच्ची हल्दी को धोकर इसे ग्रीन सलाद में मिलाकर भी खाया जा सकता है।

• कैंसर रोगियों जिनको कीमो थेरेपी हो रही हो ऐसे रोगियों को हलदी के सेवन से बचना चाहिए यह नुकसान देता है।

हल्दी के लिए एक अच्छा विकल्प क्या हो सकता है?

शरीर को स्वस्थ व निरोगी रखने में एंटी ऑक्सीडेंट महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं डायबिटीज दिल की बीमारियां गठिया तथा कैंसर जैसी खतरनाक बीमारी से बचने के लिए बॉडी को एंटीऑक्सीडेंट्स तत्वों की आवश्यकता होती है। इस लिए नियमित हल्दी के सेवन से शरीर स्वस्थ रहने के साथ-साथ त्वचा में भी निखार आता है। हल्दी, सी फूड्स और मछलियों में एंटीऑक्सीडेंट्स भरपूर मात्रा में पाए जाते है।

हल्दी की तासीर गर्म होती है इसलिए इसका इस्तेमाल सर्दी-जुकाम जैसी समस्याओं को दूर करने के लिए किया जाता है, लेकिन गर्म तासीर की होने के कारण अधिक मात्रा में सेवन करने से दस्त, पाचन में दिक्कत जैसी अन्य समस्याएं पैदा हो Source सकती हैं। नकसीर और बवासीर जैसे रक्तस्राव की समस्याएं होने पर भी गर्म तासीर वाली हल्दी के सेवन में सावधानी बरतनी चाहिए।

हल्दी और करक्यूमिन का सेवन करना फायदेमंद ही होता है लेकिन यह कुछ मामलों में नुकसानदायक भी हो सकती है। ज्यादा मात्रा में हल्दी लेने से संभावित जोखिम हो सकते है।

अगर दस्त पुराना हो तो एक चम्मच पिसी हल्दी को एक कप छाछ में मिलाकर दिन में दो बार रोगी को पिलाएं इससे पुराना दस्त भी बन्द हो जाता है।

पूरे दिन में हल्दी के सेवन का सबसे अच्छा समय क्या है?

हल्दी में रोपण एवं शोथहर गुण होने के कारण यह हर प्रकार के घाव को भरने एवं उसकी सूजन आदि को भी ठीक करने में सहयोगी होती है। 

ऐतिहासिक रूप से, हल्दी का उपयोग आयुर्वेद और अन्य पारंपरिक भारतीय चिकित्सा प्रणालियों के साथ-साथ पूर्वी एशियाई चिकित्सा प्रणालियों जैसे पारंपरिक चीनी चिकित्सा में किया जाता था। भारत में, यह पारंपरिक रूप से त्वचा, प्रतिरक्षा प्रणाली में सुधार करने, श्वास सम्बन्धी समस्याओं, जोड़ों और पाचन तंत्र के विकारों को दूर करने के लिए उपयोग किया जाता था।

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